ट्रहाई गांव में वर्तमान में भी कायम है बुआरा प्रथा -सहकारिता की अनूठी मिसाल
शिमला 13 जुलाई -मशोबरा विकास खण्ड के गांव ट्रहाई में 22 टीका देव स्थान का स्थानीय लोगों द्वारा श्रमदान और अंशदान के साथ जीर्णोद्धार किया गया जोकि सहकारिता की एक अनूठकीे मिसाल है । इस देवस्थान की प्राण प्रतिष्ठा के लिए ट्रहाई गांव के लोगों द्वारा अपने कुल देवता देव जुन्गा ठूंड को आंमत्रित किया गया । इस मौके पर देव पूजा के अतिरिक्त यज्ञ का भी आयोजन किया गया जिसमें सैंकड़ों लोगों ने देव जुन्गा का आर्शिवाद प्राप्त किया।
गांव सुधार समिति के प्रधान प्रीतम सिंह ठाकुर ने बताया कि ट्रहाई इस क्षेत्र का एक मात्र ऐसा गांव है जहां पर आज भी बुआरा प्रथा कायम है और लोग एक दूसरे के कार्य में स्वेच्छा से हाथ बंटाते है और दुःख-सुख में सदैव साथ देते हैं । उन्होने बताया कि ट्रहाई गांव में 22 टीका का देव स्थान , जहां पर अतीत में इस गांव के भ्रमण पर आने वाले विभिन्न क्षेत्र के देवताओ को थोड़ी देर के लिए विश्राम करना अनिवार्य था । उन्होने कहा कि यह देवस्थान काफी जीर्ण-शीर्ण हो चुका था जिसके जीर्णोद्धार के लिए ट्रहाई गांव के लोगों द्वारा 15 सौ प्रति परिवार अंशदान देने के अतिरिक्त इस स्थान के कार्य को पूरा होने तक प्रत्येक घर के एक एक व्यक्ति द्वारा श्रमदान दिया गया । उन्होने बताया कि इससे पहले गांव के लोगों द्वारा अंशदान और श्रमदान से डूम देवता के प्राचीन मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया गया था ।
देव जुन्गा के पुजारी एंव दिवां श्री नंदलाल ने बताया कि देव जुन्गा एक दूधाधारी देवता है इस देवता को क्योथल के अतिरिक्त सिरमौर और सोलन जिला के कुछ क्षेत्रो में कुलदेवता के रूप में मान्यता हैं । उन्होने कहा कि देव जुन्गा का मूल स्थान ठूंड है जहां पर भी 22 टीका का देव स्थान भी है । उन्होने कहा कि देव जुन्गा लोगों की मनोकामनाऐं पूर्ण करते हैं और लोग देवता का आर्शिवाद पाने के लिए प्रसन्नता के साथ अपने घर बुलाकर पूजा भी करवाते है ताकि घर परिवार गांव क्षेत्र मेें किसी महामारी का प्रकोप न हो और खुशहाली एवं समृद्धि का सूत्रपात हो ।
इस मौके पर मनोहर सिंह ठाकुर, राजेश ठाकुर, भगत चंद आन्नद, राजेन्द्र सिंह, चेतराम, जीत सिंह, रामसरन सहित गांव के अनेक प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे ।