सुंदरनगर— हिमाचल प्रदेश में दिव्यांगों का काडर स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा है। वर्तमान में दिव्यांग कर्मचारियों और अधिकारियों की प्रदेश सरकार व विभिन्न विभागों के आला अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं और सेवानिवृत्ति समेत अन्य लाभों को मुहैया करवाने में नाकाम साबित हुए हैं। हालांकि कुछ समय पहले इस मसले को लेकर आईपीएच विभाग से सेवानिवृत्त मुख्य प्रारूपकार एवं मुख्य समाजसेवी केके सकलानी ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में विभाग के फैसले को चुनौती दी है। केके सकलानी का कहना है कि पंजाब सरकार ने 40 प्रतिशत से ऊपर सभी काडर के दिव्यांगों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 60 साल करके एक समान सेवाकाल के लाभ देने की अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन पंजाब सरकार का अनुसरण करने वाली हिमाचल सरकार की अफसरशाही इस काडर को यह लाभ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद नहीं दे रही है।
दिव्यांग कर्मचारी अपने ही घर में ‘पराए’ मुलाजिमों के लिए एक समान नियम होने के बाद भी नहीं मिल पा रही सुविधाएं
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